दिनांक 19 नवंबर 2022 महिला उद्यमिता दिवस के अवसर पर एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय रवींद्र कुमार सिन्हा जी कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय रहे। प्रमुख वक्ता सुश्री पद्मजा रूपारेल, सीनियर मैनेजिंग पार्टनर इंडियन एंजल इन्वेस्टर नेटवर्क(IAN), डॉ लीना बवादेकर आयुर्वेदिक कंसलटेंट पुणे, सुश्री गौरी सरीन, फाउंडर, भूमिजा एवं लिविंग विदाउट मेडिसीन, डा. सौमिनी सुनकारा, फाउंडर एवं प्रबंध निदेशक, अग्रीघर सर्विसेज प्रा. लि., हैदराबाद आदि ने कार्यक्रम में महिला उद्यमिता के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। सुश्री रुपारेल ने जोर देकर कहा कि राष्ट्र की लगभग आधी जनसंख्या का योगदान यहां की जीडीपी में भी आधा हो सकता है। सरकार बहुत कुछ कर रही है परंतु सफल महिला उद्यमियों की संख्या में अभी भी बहुत बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है। इस संदर्भ में उन्होंने निम्न ध्यानाकर्षण कराया:
1. महिला उद्यमयो में आत्मविश्वास को बढाना बहुत जरूरी है। महिलायें सब कुछ करने में सक्षम हैं- ऐसे भाव से आगे बढें।
2. महिलायें सिर्फ सेल्स, मार्केटिंग और नेटवर्किंग के लिए ही उपयुक्त हैं, इस मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है। वे एक सफल वित्त एवं व्यवसाय प्रबंधन भी कर सकती हैं, यह एक ध्रुव सत्य है।
3. संपत्ति स्वामित्व आज भी महिलाओ को समझना जरूरी है और विषय की स्पष्टता होनी चाहिए। महिलाओ के नाम पर संपत्ति होने के बावजूद भी वह स्वछंद रूप से उपयोग करने के लिए पूर्ण स्वतंत्र नहीं हैं।
4. महिलाओं में जन्मजात प्रवृत्ति कुछ ऐसी होती हैं कि वे “निर्भरता” के वश में आ जाती हैं। आज समय आ गया है की इस प्रवृत्ति से बाहर निकलें और पूर्ण आत्मविश्वास रखकर अपने आपको पुरुष से कमतर न समझें।
सुश्री रूपारेल ने एक विशेष बात कही की महिलाओ को पुरुष के बराबर नहीं आना है बल्कि महिला एवं पुरुष का बराबर स्तर होना जरूरी है।
डा. लीना बवादेकर, एक प्रतिष्ठित आयुर्वेदाचार्य एव॔ “स्त्री” एन जी ओ की फाउन्डर, ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए, महिलाओ को आत्मनिर्भर होना आवश्यक है।
सुश्री गौरी सरीन ने पुरुष एवं महिला उद्यमियों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा किया। उन्होंने एक विशेष बात बताई कि महिला उद्यमी व्यवसाय को एक प्रवाह (फ्लो) के स्वरूप में लेकर आगे बढती हैं जबकि पुरुष योजना (स्ट्रक्चर) पर ज्यादा भरोसा करते हैं। प्रवाह-प्रबंधन में मानसिक तनाव नही के बराबर होता है।
डा.सौमिनी सुनकारा ने महिलाओ के “उद्यमिता-लब्धि”( इन्टरप्रेन्योरशिप-कोशेन्ट) को पुरुषो के मुकाबले अधिक सशक्त बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलायें वित्त प्रबंधन, वैयक्तिक सम्बन्ध निर्माण, आशावादी दृष्टिकोण, ग्रहणशील, नेटवर्किंग, करुणात्मक प्रवृत्ति जैसे अनेको क्षेत्र जो किसी व्यवसाय की सफलता के लिए अत्यंत हत्वपूर्ण हैं, पुरुषों से ज्यादा कुशल होती हैं। इन सभी सफल महिलाओ को सुनकर, पुरुष नवाचार उद्यमियों को भी समझना आवश्यक हो गया है कि अपने समूह में महिला को-फाउडरों को भी सम्मिलित करें।
कार्यक्रम का संचालन मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद प्रकाश दुबे जी द्वारा किया गया। उन्होने भारतीय पर॔परा के परिपेक्ष्य में बताया कि नारी शक्ति यहां पर सदैव से ही अत्यंत महत्वपूर्ण एवं पूज्य रही है। अर्द्धनारीश्वर की संकल्पना भारत की ही है। नारी शक्ति का जागृत होना और पुरुषों के साथ बराबरी से चलना आज की विशेष आवश्यकता है।
नवाचार समिति समन्वयिका, डॉ शिल्पा कायस्था जी ने सम्मान संदेश प्रस्तुत करते हुए, छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय में महिलाओ के लिए चलाए गये प्रकल्पों का भी संदर्भ दिया। कार्यक्रम के प्रसारण की विविध विधाओ पर विशेष सहयोग एवं प्रबंधन, वरिष्ठ नवाचार अधिकारी, उत्कर्ष बिसारिया जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डा सिधांसु राय, डा प्रशांत त्रिवेदी, डा एकता खरे, अनिल त्रिपाठी नवाचार अधिकारी आदि उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के तकनीकी विभाग (यू आइ ई टी) की निदेशक डा ब्रिस्टी मित्रा द्वारा प्रदान किया गया। डा मित्रा ने कार्यक्रम की निवर्तमान में क्या अहमियत है, इस पर भी विषेश प्रकाश डाला। कार्यक्रम में 75 से अधिक लोगों ने प्रतिभाग किया।